राजस्थान एवं भारत की सरकारी योजनाएं 2024-25 (भाग-3)
स्वामित्व योजना
- ग्राम आबादी और सुधारित प्रौद्योगिकी के साथ मानचित्रण का सर्वेक्षण
- शुरुआत तिथि: 24 अप्रैल, 2020 (9 राज्यों में पायलट परियोजना)
- प्रशासित मंत्रालय: पंचायती राज मंत्रालय, भारतीय सर्वेक्षण के सहयोग से
- योजना प्रकार: केंद्रीय क्षेत्र योजना
- अवधि: 2021-2025
- उद्देश्य: ग्रामीण निवासियों को संपत्ति कार्ड (अधिकार का रिकॉर्ड) प्रदान करना।
विशेषताएं:
- ग्रामीण संपत्तियों के सीमांकन के लिए ड्रोन तकनीक का उपयोग किया जाता है।
- पूरे देश में 6.62 लाख गांवों को कवर करना।
- ग्राम मंचित्र एप्लिकेशन का उपयोग करके डिजिटल रिकॉर्ड।
चुनौतियां:
- प्रौद्योगिकी संबंधी बाधाएं: ड्रोन तकनीक पर अत्यधिक निर्भरता दूरस्थ क्षेत्रों में चुनौतियों का सामना कर सकती है।
- स्वीकृति समस्याएं: स्थानीय समुदायों के लिए नए प्रणाली को स्वीकारने और अपनाने में कठिनाई हो सकती है।
निष्कर्ष: स्वामित्व योजना का उद्देश्य ग्रामीण संपत्ति अधिकार प्रदान करना है, जिससे ग्रामीणों को डिजिटल स्वामित्व रिकॉर्ड के माध्यम से सशक्त किया जा सके। स्थानीय जागरूकता बढ़ाना और प्रौद्योगिकी के प्रभावी उपयोग को सुनिश्चित करना कार्यक्रम की सफलता को निर्धारित करेगा।
पीएम आशा (प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान)
शुरुआत तिथि: सितंबर 2018
- योजना प्रकार: व्यापक योजना
- उद्देश्य: किसानों के उत्पाद के लिए लाभकारी मूल्य की गारंटी और उनकी आय को दोगुना करना।
- लागू उत्पाद: दलहन, तिलहन, और नारियल कोपरा
- कार्यान्वयन एजेंसियां:
- भारतीय खाद्य निगम (FCI) और राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (NAFED)
घटक:
- मूल्य समर्थन योजना (PSS): फसल खरीद (दलहन, तिलहन, कोपरा) में हुए नुकसान को कवर करती है।
- मूल्य घाटा भुगतान योजना (PDPS): न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और बाजार मूल्य के बीच अंतर का भुगतान करती है (तिलहन)।
- निजी खरीद और स्टॉकिस्ट योजना (PPSS): तिलहन की बढ़ी हुई खरीद और भंडारण के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करती है।
चुनौतियां:
- मूल्य में अस्थिरता: बाजार मूल्य में उतार-चढ़ाव मूल्य घाटा भुगतान तंत्र की प्रभावशीलता को प्रभावित करता है।
- जागरूकता समस्याएं: किसानों में योजना और इसके लाभों के बारे में जागरूकता की कमी।
निष्कर्ष: पीएम आशा का उद्देश्य किसानों को सुनिश्चित प्रतिफल प्रदान करना और उनकी आय में सुधार करना है। मूल्य अस्थिरता को दूर करना और किसानों में जागरूकता बढ़ाना योजना के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेगा।
मेक इन इंडिया कार्यक्रम
शुरुआत तिथि: 25 सितंबर, 2014
- केंद्रित क्षेत्र:
- प्रारंभ में 25 क्षेत्रों को लक्षित किया गया था; अब मेक इन इंडिया 2.0 में 27 क्षेत्रों तक विस्तार किया गया है।
उद्देश्य:
- भारत को वैश्विक डिजाइन और निर्माण केंद्र में बदलना।
लक्ष्य:
- भारत को निर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करना।
- 2022 तक निर्माण क्षेत्र में 10 करोड़ नौकरियां सृजित करना।
- 2022 तक GDP में निर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी को 16% से बढ़ाकर 25% करना।
- भारतीय निर्माण क्षेत्र को वैश्विक ब्रांड के रूप में स्थापित करना।
- विकास की स्थिरता सुनिश्चित करना, पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करते हुए।
चुनौतियां:
- जटिल नियम: नौकरशाही प्रक्रियाओं और नियामक बाधाओं को नेविगेट करने में कठिनाई व्यापार में आसानी को प्रभावित करती है।
- बुनियादी ढांचे की कमी: विश्वसनीय बुनियादी ढांचे की कमी निर्माण लक्ष्यों को प्राप्त करने में बड़ी बाधा है।
- कुशल कार्यबल की कमी: कुशल श्रम की पर्याप्त उपलब्धता न होने से निर्माण क्षेत्रों में वृद्धि में बाधा आती है।
निष्कर्ष: मेक इन इंडिया पहल का उद्देश्य निर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देना, रोजगार उत्पन्न करना और अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है। नौकरशाही, बुनियादी ढांचे और कौशल की कमी से संबंधित चुनौतियों का समाधान करना भारत की वैश्विक निर्माण केंद्र बनने की क्षमता को साकार करने के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रधानमंत्री आवास योजना – ग्रामीण (PMAY-G)
शुरुआत तिथि: 20 नवंबर, 2016 (आगरा, उत्तर प्रदेश से)
पुनर्निर्मित योजना:
- इंदिरा आवास योजना का संशोधित संस्करण (1 अप्रैल, 2016 को पुनर्निर्मित), जिसमें अधिक लाभ और व्यापक कवरेज प्रदान किया गया है।
- संलग्न मंत्रालय: ग्रामीण विकास मंत्रालय
मुख्य उद्देश्य:
- 2024 तक “सभी के लिए आवास” प्राप्त करना, जिसमें आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 2.95 करोड़ सस्ती घरों का निर्माण किया जाएगा, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में।
पात्र लाभार्थी:
- चयन: सामाजिक-आर्थिक जनगणना 2011 के आधार पर।
- लक्षित समूह:
- अनुसूचित जनजाति (ST)
- अनुसूचित जाति (SC)
- मुक्त बंधुआ मजदूर
- विधवाएं
- शहीदों के परिजन
- दिव्यांगजन
- अल्पसंख्यक समुदाय
वित्तपोषण और लागत साझा करना:
- केंद्र और राज्य अनुपात: 60:40 मैदानी क्षेत्रों के लिए, 90:10 पहाड़ी क्षेत्रों के लिए।
- वित्तीय सहायता:
- मैदानी क्षेत्रों में घर निर्माण के लिए 1.20 लाख रुपये।
- पहाड़ी क्षेत्रों में घर निर्माण के लिए 1.30 लाख रुपये।
- शौचालय निर्माण के लिए 12,000 रुपये।
- मनरेगा के तहत 90 दिनों के श्रम के लिए 19,800 रुपये।
उपलब्धियां:
- राजस्थान में, 17 लाख पात्र परिवारों में से 16 लाख घर पूरे किए गए।
- प्रत्येक घर का मानक क्षेत्रफल 25 वर्ग मीटर है।
- द्वितीय चरण: योजना के तहत 2 करोड़ अतिरिक्त घरों का निर्माण किया गया।
चुनौतियां:
- निर्माण में देरी: घरों को पूरा करने में देरी एक महत्वपूर्ण मुद्दा बनी हुई है।
- लाभार्थी पहचान: पात्र लाभार्थियों की सही पहचान करने में कठिनाइयों से “सभी के लिए आवास” लक्ष्य को 2024 तक प्राप्त करने में बाधा आती है।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY)
शुरुआत तिथि:1 जुलाई, 2015
टैगलाइन: प्रति बूंद अधिक फसल (हर खेत को पानी)
वित्तपोषण संरचना:
- केंद्र और राज्य का हिस्सा: 60:40
- पहाड़ी राज्य: 90:10
उद्देश्य:
- प्रति बूंद अधिक फसल: माइक्रो-इरिगेशन और अन्य जल-संरक्षण प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना ताकि जल का अधिकतम उपयोग हो सके।
- जल उपयोग दक्षता में सुधार: उपलब्ध जल संसाधनों के कुशल उपयोग में सुधार करना।
- जलभृत पुनर्भरण को बढ़ाना: जलभृतों के पुनर्भरण को बढ़ावा देना ताकि दीर्घकालिक जल स्थिरता सुनिश्चित हो सके।
- निवेशों का अभिसरण: क्षेत्रीय स्तर पर सिंचाई अवसंरचना में निवेशों का अभिसरण प्राप्त करना।
संलग्न मंत्रालय:
- कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय
- ग्रामीण विकास मंत्रालय
- जल शक्ति मंत्रालय
विशेषताएं:
- तीन मौजूदा योजनाओं का संयोजन ताकि एक एकीकृत सिंचाई पहल बनाई जा सके:
- त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (AIBP)
- खेत पर जल प्रबंधन (OFWM)
- एकीकृत जलागम प्रबंधन कार्यक्रम (IWMP)
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का उद्देश्य कुशल सिंचाई प्रदान करना, जल संरक्षण को बढ़ावा देना और कृषि में जल का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करना है ताकि सतत उत्पादकता प्राप्त की जा सके और जल दक्षता को बढ़ावा दिया जा सके।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना
- शुरुआत तिथि: 19 फरवरी, 2015
- टैगलाइन: “स्वस्थ धरा खेत हरा” (स्वस्थ मृदा, हरे खेत)
- शुरुआत स्थान: सूरतगढ़, गंगानगर (राजस्थान)
- प्रशासित मंत्रालय: कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय
उद्देश्य:
- मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करना: सभी किसानों को हर दो साल में मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रदान करना ताकि उर्वरकों के संतुलित उपयोग और पोषक तत्वों की कमी को दूर किया जा सके।
- मृदा उर्वरता की जांच: मृदा उर्वरता की समस्याओं की पहचान करना और उन्हें सुलझाना ताकि मृदा स्वास्थ्य बना रहे।
विशेषताएं:
- कार्ड वितरण: 24 करोड़ से अधिक मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किए गए हैं।
- मृदा परीक्षण मानक: मृदा का परीक्षण 12 मानकों के आधार पर किया जाता है, जिसमें NPK (प्रमुख पोषक तत्व) शामिल हैं।
- राजस्थान में उपलब्धियां: राजस्थान ने योजना के तहत 100% लक्ष्य प्राप्त किया।
हाल के परिवर्तन:
- 2023 में विलय: 2023 में इस योजना का विलय राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) में कर दिया गया और इसका नया नाम “मृदा स्वास्थ्य और उर्वरता” रखा गया।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना मृदा उर्वरता में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिससे किसानों को पोषक तत्वों के उपयोग के लिए मार्गदर्शन मिलता है और स्थायी कृषि उत्पादकता सुनिश्चित होती है। RKVY में इसके विलय का उद्देश्य मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन और उर्वरता प्रथाओं को देश भर में और सशक्त करना है।
आयुष्मान भारत डिजिटल स्वास्थ्य मिशन
शुरुआत तिथि: 27 सितंबर, 2021
उद्देश्य:
- स्वास्थ्य सेवाओं को पूरे देश में डिजिटल बनाना ताकि अधिक पहुंच, पारदर्शिता, और दक्षता सुनिश्चित हो सके।
अवधि: 5 वर्ष
प्रकार: केंद्रीय क्षेत्र योजना
कार्यान्वयन एजेंसी: राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA)
विशेषताएं:
- आभा आईडी: नागरिकों के लिए 14 अंकों की आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता (ABHA) आईडी का निर्माण।
- UHI: डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं के सहज एकीकरण के लिए एकीकृत स्वास्थ्य इंटरफ़ेस (UHI) की स्थापना।
- 100 माइक्रोसाइट प्रोजेक्ट: प्रभावशीलता का मूल्यांकन करने के लिए मिशन को 100 साइटों पर लागू करना।
चुनौतियां:
- डेटा गोपनीयता चिंताएं: स्वास्थ्य डेटा को डिजिटल बनाने से गोपनीयता और डेटा सुरक्षा के बारे में चिंताएं बढ़ती हैं।
- डिजिटल विभाजन: ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल उपकरणों और इंटरनेट सेवाओं तक सीमित पहुंच इस मिशन की पहुंच में बाधा बन सकती है।
निष्कर्ष: आयुष्मान भारत डिजिटल स्वास्थ्य मिशन का उद्देश्य एक मजबूत डिजिटल स्वास्थ्य अवसंरचना तैयार करना है। गोपनीयता चिंताओं का समाधान करना और डिजिटल विभाजन को पाटना मिशन की सफलता के लिए आवश्यक है।
STARS योजना (शिक्षण-प्रशिक्षण और राज्यों के परिणामों को सुदृढ़ करना)
- घोषणा: 16 अक्टूबर, 2020
- शुरुआत तिथि: 23 फरवरी, 2021
- उद्देश्य: भारतीय स्कूल प्रणाली में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना।
- सहयोग: यह योजना विश्व बैंक के सहयोग से लागू की जाती है।
लक्षित राज्य:
- योजना छह राज्यों में लागू की गई है: हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, केरल और ओडिशा।
चुनौतियां:
- शिक्षक प्रशिक्षण: नई शिक्षण पद्धतियों को लागू करने में शिक्षकों के लिए उचित प्रशिक्षण की कमी।
- संसाधन आवंटन: लक्षित राज्यों में संसाधनों का प्रभावी आवंटन चुनौतीपूर्ण है।
निष्कर्ष: STARS योजना का उद्देश्य भारत में स्कूल शिक्षा में प्रणालीगत सुधारों पर ध्यान केंद्रित करके शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना है। शिक्षक प्रशिक्षण और संसाधन आवंटन से संबंधित चुनौतियों का समाधान योजना की समग्र सफलता को निर्धारित करेगा।
पीएम-वानी योजना (प्रधानमंत्री वाई-फाई एक्सेस नेटवर्क इंटरफेस)
शुरुआत तिथि: 9 दिसंबर, 2020
उद्देश्य:
- देश भर में वाई-फाई डेटा केंद्र स्थापित करके सभी नागरिकों को वाई-फाई हॉटस्पॉट के माध्यम से इंटरनेट पहुंच प्रदान करना।
प्रावधान:
- एक करोड़ डेटा केंद्र: देशभर में सस्ती इंटरनेट सेवा प्रदान करने के लिए एक करोड़ डेटा केंद्र खोले जाने हैं।
चुनौतियां:
- बुनियादी ढांचा: दूरस्थ और ग्रामीण क्षेत्रों में वाई-फाई केंद्र स्थापित करना सीमित बुनियादी ढांचे के कारण चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
- डेटा सुरक्षा: सार्वजनिक वाई-फाई के सुरक्षित उपयोग और इसके दुरुपयोग को रोकना चिंता का विषय है।
निष्कर्ष: पीएम-वानी योजना का उद्देश्य भारत में इंटरनेट पहुंच को बढ़ाना है। बुनियादी ढांचे का विस्तार और डेटा सुरक्षा सुनिश्चित करना इसकी सफलता के लिए महत्वपूर्ण होगा।
निपुण भारत योजना (पढ़ने की समझ और संख्यात्मकता में प्रवीणता के लिए राष्ट्रीय पहल)
प्रशासित मंत्रालय: शिक्षा मंत्रालय
उद्देश्य:
- 3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं को पूरा करना।
- नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 के कार्यान्वयन में सहायता करना।
- 2026-27 तक सभी बच्चों के लिए कक्षा 3 तक पढ़ने, लिखने और संख्यात्मकता में प्रवीणता प्राप्त करना।
चुनौतियां:
- स्थानीय स्तर पर कार्यान्वयन: विभिन्न क्षेत्रों, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों तक पहुंच बनाकर शैक्षिक मानकों को प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण है।
- शिक्षक प्रशिक्षण: NEP के लक्ष्यों को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए शिक्षकों का उचित प्रशिक्षण आवश्यक है।
निष्कर्ष: निपुण भारत का उद्देश्य नई शिक्षा नीति 2020 के दृष्टिकोण के अनुसार छोटे बच्चों में बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता कौशल विकसित करना है। पर्याप्त शिक्षक प्रशिक्षण और प्रभावी कार्यान्वयन योजना के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
रैंप योजना (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के प्रदर्शन को बढ़ाना और तेज करना)
घोषणा: बजट 2022-23 (30 जून, 2022 को लॉन्च)
उद्देश्य:
- एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों) के लिए बाजार तक पहुंच और ऋण उपलब्धता में सुधार करना।
- विलंबित भुगतानों से संबंधित मुद्दों का समाधान करना और पर्यावरणीय रूप से अनुकूल उत्पादों को बढ़ावा देना।
- प्रकार: विश्व बैंक के समर्थन के साथ केंद्रीय क्षेत्र योजना।
- बजट: 6,000 करोड़ रुपये
- सिफारिशें: योजना के.वी. कामथ और यू.के. सिन्हा समिति की सिफारिशों के आधार पर लागू की गई थी।
चुनौतियां:
- वित्तीय साक्षरता: कई एमएसएमई को औपचारिक वित्तीय सेवाओं तक पहुंचने में सीमित ज्ञान के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
- विलंबित भुगतान: बड़े निगमों से भुगतान में देरी के कारण एमएसएमई को नकदी प्रवाह से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
निष्कर्ष: रैंप योजना का उद्देश्य बाजारों और वित्तीय सेवाओं तक बेहतर पहुंच के माध्यम से एमएसएमई के प्रदर्शन में सुधार करना है। वित्तीय साक्षरता बढ़ाना और भुगतान में देरी को कम करना अर्थव्यवस्था में एमएसएमई के योगदान को बढ़ाने के लिए आवश्यक है।
श्रेयस योजना (उच्च शिक्षा युवाओं के लिए अप्रेंटिसशिप और कौशल योजना)
घोषणा: 2019
प्रशासित मंत्रालय: शिक्षा मंत्रालय
उद्देश्य:
- गैर-तकनीकी डिग्री पाठ्यक्रमों के छात्रों के लिए कौशल आधारित प्रशिक्षण और अप्रेंटिसशिप के माध्यम से कौशल विकास को बढ़ावा देना।
चुनौतियां:
- छात्र भागीदारी: गैर-तकनीकी पाठ्यक्रमों के छात्रों को कौशल आधारित प्रशिक्षण के लिए प्रोत्साहित करना जागरूकता की कमी के कारण चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
- उद्योग के साथ सहयोग: उद्योगों के साथ सहयोग स्थापित करना ताकि पर्याप्त अप्रेंटिसशिप अवसर प्रदान किए जा सकें।
निष्कर्ष: श्रेयस योजना का उद्देश्य उच्च शिक्षा के साथ अप्रेंटिसशिप को एकीकृत करके कौशल अंतर को पाटना है। मजबूत उद्योग साझेदारी बनाना और छात्रों में जागरूकता बढ़ाना इसकी सफलता के लिए महत्वपूर्ण है।
किसान क्रेडिट कार्ड (KCC)
शुरुआत तिथि: अगस्त 1998
प्रशासित प्राधिकरण: राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)
- पृष्ठभूमि: आर. वी. गुप्ता समिति की सिफारिशों के आधार पर शुरू किया गया।
उद्देश्य:
- किसानों को कृषि आवश्यकताओं के लिए कम ब्याज दर पर ऋण प्रदान करना।
- संस्थागत ऋण को बढ़ावा देना और अनौपचारिक साहूकारों पर निर्भरता कम करना।
ऋण प्रावधान:
- ऋण सीमा: 3 लाख रुपये तक।
- ब्याज दर: 7%, समय पर पुनर्भुगतान के लिए 3% ब्याज छूट।
नए प्रावधान:
- विस्तारित क्षेत्र: अब कृषि के अलावा पशुपालन और मत्स्य पालन में लगे किसानों को भी ऋण प्रदान किया जाता है।
वैधता:
- किसान क्रेडिट कार्ड की वैधता अवधि 5 वर्ष तक होती है।
किसान क्रेडिट कार्ड का उद्देश्य किसानों को कृषि और सहायक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आसान और सस्ती ब्याज दरों पर ऋण उपलब्ध कराना है, वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना और अनौपचारिक स्रोतों पर निर्भरता को कम करना।
ब्याज सब्सिडी योजना
उद्देश्य: किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) धारक किसानों को सब्सिडी वाली ब्याज दरों पर अल्पकालिक ऋण प्रदान करना।
पात्रता: कृषि किसान और वे जो पशुपालन, डेयरी, मुर्गीपालन, और मत्स्य पालन जैसे संबंधित क्षेत्रों में लगे हैं।
प्रावधान:
- ऋण सीमा: 3 लाख रुपये तक।
- ब्याज दर: 7% (3 वर्ष तक)।
- छूट: समय पर ऋण चुकाने वाले किसानों को अतिरिक्त 3% की छूट दी जाती है।