राजस्थान एवं भारत की सरकारी योजनाएं 2024-25 (भाग-8)
नैनो यूरिया (यूरिया गोल्ड)
नैनो उर्वरक स्वीकृति: 2021
शुरुआत तिथि: अप्रैल 2023
अवलोकन:
- दुनिया का पहला नैनो DAP (लिक्विड): इस पहल के तहत पारंपरिक उर्वरकों को बदलने के लिए नैनो उर्वरक प्रदान किया जाता है, जिसमें नैनो यूरिया (यूरिया गोल्ड) शामिल है।
- पहला नैनो यूरिया संयंत्र: कलोल, गुजरात में IFFCO द्वारा स्थापित, जिसमें पौधों को अधिक कुशल रूप में नाइट्रोजन जैसे पोषक तत्वों की आपूर्ति की जाती है।
चुनौतियां:
- किसानों में जागरूकता: कई किसान नैनो उर्वरकों के लाभों से अनजान हैं, जिससे इसका अपनाना सीमित हो रहा है।
- वितरण समस्याएं: सीमित उत्पादन सुविधाओं के कारण बड़े पैमाने पर उपयोग के लिए नैनो उर्वरकों की कमी है।
निष्कर्ष: नैनो उर्वरक फसलों के पोषण के लिए एक पर्यावरण अनुकूल और कुशल समाधान प्रदान करते हैं। इस तकनीक के समग्र स्वीकार्यता और लाभ बढ़ाने के लिए जागरूकता और वितरण चुनौतियों का समाधान करना आवश्यक है।
प्रधानमंत्री ई-बस योजना
शुरुआत तिथि: 16 अगस्त, 2023
उद्देश्य:
- भारत के 169 शहरों में 10,000 नई इलेक्ट्रिक बसों को शुरू करना, जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करना और प्रदूषण नियंत्रण में योगदान देना।
व्यय: 57,613 करोड़ रुपये।
तैनाती योजना:
- 5 लाख से कम जनसंख्या वाले शहर: 50 बसें।
- 5-20 लाख जनसंख्या वाले शहर: 100 बसें।
- 20-40 लाख जनसंख्या वाले शहर: 150 बसें।
- न्यूनतम जनसंख्या आवश्यक: 3 लाख।
चुनौतियां:
- अवसंरचना: पर्याप्त चार्जिंग स्टेशनों की अनुपस्थिति एक प्रमुख बाधा है।
- रखरखाव और प्रशिक्षण: इलेक्ट्रिक बसों का रखरखाव और तकनीशियनों का प्रशिक्षण एक सतत इलेक्ट्रिक परिवहन प्रणाली के लिए चुनौती है।
निष्कर्ष: प्रधानमंत्री ई-बस योजना एक हरा सार्वजनिक परिवहन प्रणाली बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। चार्जिंग अवसंरचना का विस्तार करना और प्रभावी रखरखाव सुनिश्चित करना इस पहल की दीर्घकालिक सफलता के लिए महत्वपूर्ण है।
अदिति योजना (ADITI Scheme)
iDEX के साथ अभिनव प्रौद्योगिकियों के विकास में महारत हासिल करना।
अवधि:2023-24 से 2025-26।
उद्देश्य: डीप टेक पर आधारित स्वदेशी तकनीक विकसित करना और रणनीतिक रक्षा प्रौद्योगिकियों में नवाचार को बढ़ावा देना।
मुख्य विशेषताएं:
अनुदान राशि: अदिति चैलेंज के विजेता को अधिकतम 25 करोड़ रुपये (50% तक)।
iDEX (डिफेंस एक्सीलेंस के लिए नवाचार): रक्षा क्षेत्र में नवाचार और प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा देना।
DISC (डिफेंस इंडिया स्टार्टअप चैलेंज): रक्षा प्रौद्योगिकियों में स्टार्टअप को समर्थन देने के लिए 10 करोड़ रुपये। चुनौतियां:
उच्च अनुसंधान एवं विकास लागत: रणनीतिक रक्षा प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान और विकास में महत्वपूर्ण वित्तीय निवेश की आवश्यकता होती है।
कुशल कार्यबल: जटिल तकनीकों पर काम करने के लिए कुशल कर्मियों की उपलब्धता एक और चुनौती है।
निष्कर्ष: अदिति योजना रक्षा नवाचार के लिए आवश्यक समर्थन प्रदान करती है। कुशल कार्यबल को बढ़ावा देना और आवश्यक वित्तीय निवेश प्रदान करना इस योजना की सफलता के लिए महत्वपूर्ण है।
आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (ABHIM)
शुरुआत तिथि: 25 अक्टूबर, 2021।
अवधि: 2021 से 2026।
बजट: 64,000 करोड़ रुपये।
उद्देश्य: भविष्य में महामारी और बीमारियों से निपटने में सक्षम तीन-स्तरीय स्वास्थ्य अवसंरचना विकसित करना।
घटक:
केंद्र प्रायोजित:
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आयुष्मान आरोग्य मंदिर।
ब्लॉक स्तर प्राथमिक स्वास्थ्य इकाइयां (B-PHU) 11 राज्यों में।
केंद्रीय क्षेत्र:
12 ICU ब्लॉक।
बायो-सेफ्टी स्तर III प्रयोगशालाएं।
चुनौतियां:
कार्यान्वयन में देरी: दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य अवसंरचना की स्थापना चुनौतीपूर्ण रही है।
लॉजिस्टिक्स और संसाधन आवंटन: समय पर लॉजिस्टिक्स और पर्याप्त संसाधन सुनिश्चित करना भी एक बड़ी चुनौती है।
निष्कर्ष: ABHIM का उद्देश्य स्वास्थ्य अवसंरचना को सुदृढ़ बनाना है, जो भविष्य में महामारी के प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण है। कार्यान्वयन में देरी को दूर करना और प्रभावी लॉजिस्टिक्स प्रबंधन इस लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगा।
दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (DAY – NULM)
उद्देश्य: 1 लाख से अधिक आबादी वाले शहरी क्षेत्रों में गरीबी उन्मूलन और रोजगार सृजन।
योजना प्रकार: केंद्र प्रायोजित।
लाभार्थी: शहरी गरीब, स्वयं सहायता समूह (SHGs), व्यक्तिगत उद्यमी।
मुख्य विशेषताएं:
- SHG का गठन: 10-20 सदस्यों का SHG।
- ऋण प्रावधान:
- SHG सदस्यों के लिए: प्रति सदस्य 2 लाख रुपये, अधिकतम 10 लाख रुपये।
- व्यक्तिगत उद्यमी के लिए: 2 लाख रुपये का ऋण।
- ब्याज दर: 7% (3% सबवेंशन)। चुनौतियां:
- वित्तीय समावेशन: शहरी गरीब और SHG सदस्यों के लिए वित्तीय साक्षरता सुनिश्चित करना एक चुनौती है।
- ऋण जोखिम: ऋण न चुकाने का जोखिम कार्यक्रम की स्थिरता को प्रभावित कर सकता है।
निष्कर्ष: DAY-NULM योजना स्वरोजगार के माध्यम से शहरी गरीबी उन्मूलन में सहायक है। वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करना और ऋण जोखिम को कम करना कार्यक्रम की निरंतर सफलता के लिए महत्वपूर्ण है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान
शुरुआत तिथि: 22 जनवरी, 2015 (पानीपत, हरियाणा से)
उद्देश्य: लिंग अनुपात में सुधार और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना।
वित्त पोषण: 100% केंद्रीय सरकार द्वारा वित्त पोषित।
प्रशासित मंत्रालय:
- महिला एवं बाल विकास मंत्रालय।
- स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय।
- शिक्षा मंत्रालय।
कार्यान्वयन चरण:
- पहला चरण: 100 जिले, जिनका लिंग अनुपात 918 से कम या निरंतर गिरावट पर था।
- दूसरा चरण: 61 जिले।
- तीसरा चरण: देश के सभी जिले।
गुड्डा-गुड्डी बोर्ड:
- एक डिजिटल प्लेटफॉर्म, जहां लड़कियों और लड़कों के मासिक जन्म डेटा जारी किए जाते हैं।
चुनौतियां:
- सीमित जागरूकता: ग्रामीण जनसंख्या में योजना के लाभों के बारे में जागरूकता की कमी।
- सांस्कृतिक बाधाएं: लिंग भेदभाव जैसी गहरी सामाजिक और सांस्कृतिक मान्यताएं अभियान की प्रभावशीलता में बाधा डालती हैं।
- निगरानी मुद्दे: विभिन्न जिलों में प्रगति की निगरानी और जवाबदेही सुनिश्चित करना चुनौतीपूर्ण है।
निष्कर्ष: बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान ने लड़कियों के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने में सफलता प्राप्त की है और कुछ क्षेत्रों में लिंग अनुपात में सुधार हुआ है। ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता बढ़ाना और सांस्कृतिक बाधाओं को दूर करना अभियान की व्यापक सफलता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
सुकन्या समृद्धि योजना (Sukanya Samriddhi Yojana)
शुरुआत तिथि: 22 जनवरी, 2015 (बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत)।
उद्देश्य:
- माता-पिता को बेटी के लिए बचत करने के लिए प्रोत्साहित करना।
- लड़कियों की उच्च शिक्षा की जरूरतों को पूरा करना।
प्रावधान:
- माता-पिता या अभिभावक 0-10 वर्ष की आयु की बालिका के नाम से बचत खाता खोल सकते हैं।
- बैंक या डाकघर में खाता खोला जा सकता है।
- न्यूनतम जमा राशि: 250 रुपये; अधिकतम जमा राशि: 1.5 लाख रुपये प्रति वित्तीय वर्ष।
- निकासी विकल्प: 18 वर्ष की आयु पूरी होने के बाद उच्च शिक्षा के लिए 50% निकासी की अनुमति।
- जमा अवधि: 15 वर्ष तक जमा कर सकते हैं, योजना 21 वर्ष बाद परिपक्व होती है।
अंतर्राष्ट्रीय बेटी दिवस:22 सितंबर को मनाया जाता है।
चुनौतियां:
- सीमित पहुंच: ग्रामीण क्षेत्रों में कई माता-पिता योजना से अनजान हैं, जिससे इसका अपनाना सीमित हो रहा है।
- आर्थिक बाधाएं: 1.5 लाख रुपये की अधिकतम जमा राशि निम्न-आय परिवारों के लिए वहन करना मुश्किल हो सकता है, जिससे बचत क्षमता बाधित होती है।
- पहुंच संबंधी समस्याएं: दूरदराज के क्षेत्रों में बैंक या डाकघर तक पहुंचने में कठिनाई होती है, जिससे खाते खोलना और बनाए रखना चुनौतीपूर्ण होता है।
निष्कर्ष: सुकन्या समृद्धि योजना बालिकाओं के भविष्य को सुरक्षित करने और वित्तीय बचत को बढ़ावा देने का एक अच्छा अवसर प्रदान करती है। सीमित जागरूकता और पहुंच जैसी समस्याओं का समाधान करने से अधिक बालिकाओं को इस पहल का लाभ मिलेगा और उन्हें अपने शैक्षिक और व्यक्तिगत आकांक्षाएं पूरी करने में मदद मिलेगी।
उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (PLI) योजना
शुरुआत:
- अप्रैल 2020 (प्रारंभ में तीन क्षेत्रों के लिए)
- 11 नवंबर, 2020 को 10 क्षेत्रों में विस्तार किया गया, वर्तमान में 14 क्षेत्रों को कवर किया गया। उद्देश्य:
- घरेलू निर्माण को बढ़ावा देना ताकि जीडीपी में 25% योगदान कर सके।
- आयात निर्भरता को कम करना।
- रोजगार सृजन और ‘मेक इन इंडिया‘ अभियान का समर्थन।
प्रावधान:
- चयनित क्षेत्रों में उत्पादन इकाइयों के लिए अतिरिक्त बिक्री पर 4-6% का प्रोत्साहन।
क्षेत्र:
- वस्त्र उत्पादन।
- इस्पात।
- खाद्य प्रसंस्करण।
- आईटी हार्डवेयर (PLI 2.0)।
- दवाइयां।
- सेल और बैटरी।
- इलेक्ट्रॉनिक और प्रौद्योगिकी उत्पाद।
- सौर फोटोवोल्टिक।
- सफेद वस्त्र (एसी, एलईडी)।
- ऑटोमोबाइल।
- बड़ी विद्युत उपकरण।
- नेटवर्किंग और टेलीकॉम।
- चिकित्सा उपकरण।
- ड्रोन।
चुनौतियां:
- जटिल अनुमोदन प्रक्रिया: आवेदन प्रसंस्करण और नियामक अनुमोदन में देरी से सुचारू कार्यान्वयन में बाधा उत्पन्न होती है।
- अवसंरचना की कमी: मजबूत अवसंरचना की कमी उद्योगों की उत्पादन क्षमता को प्रभावित कर सकती है।
निष्कर्ष: PLI योजना का उद्देश्य घरेलू निर्माण को बढ़ावा देना और आयात निर्भरता को कम करना है। प्रशासनिक देरी को दूर करना और अवसंरचना में सुधार करना योजना के उद्देश्यों को प्राप्त करने और भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है।
नमस्ते योजना (NAMASTE Scheme)
अवधि: 2022 से 2026।
पूरा नाम: नेशनल एक्शन फॉर मेकेनाइज्ड सैनिटेशन इकोसिस्टम।
योजना प्रकार: केंद्रीय क्षेत्र योजना।
बजट: 349 करोड़ रुपये (2025-26 तक)।
प्रशासित मंत्रालय: आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय तथा सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय।
उद्देश्य:
- सभी शहरों और कस्बों में 100% मैकेनाइज्ड सीवर प्रणाली की सफाई।
- स्वच्छता कार्य में शून्य मृत्यु दर सुनिश्चित करना।
विशेषताएं:
- AMRUT योजना के तहत 500 शहरों में कार्यान्वयन।
- योग्य श्रमिकों के लिए आयुष्मान भारत के तहत बीमा कवरेज।
- स्वच्छता कार्यकर्ताओं के लिए किट और प्रशिक्षण का प्रावधान।
चुनौतियां:
- प्रौद्योगिकी बाधाएं: मैकेनाइज्ड सफाई उपकरण संकीर्ण या पुराने सीवर सिस्टम के लिए उपलब्ध या उपयुक्त नहीं हो सकते।
- प्रशिक्षण और स्वीकृति: श्रमिकों को प्रशिक्षण देना और उन्हें नए तरीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
निष्कर्ष: नमस्ते योजना का उद्देश्य मैनुअल स्कैवेंजिंग को समाप्त करना और सुरक्षित स्वच्छता प्रथाओं को सुनिश्चित करना है। प्रभावी प्रशिक्षण कार्यक्रम और उपयुक्त प्रौद्योगिकी तैनाती से वांछित प्रभाव प्राप्त करने और श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना (Prime Minister Aadi Adarsh Gram Yojana)
- अवधि: 2022-2026 (4 वर्ष)।
- बजट: 7,276 करोड़ रुपये।
- प्रशासित मंत्रालय: जनजातीय मामलों का मंत्रालय।
उद्देश्य:
- कम से कम 50% जनजातीय आबादी वाले 36,000 गांवों को ‘मॉडल जनजातीय गांवों‘ में विकसित करना।
विशेषताएं:
- पहला चरण: 16,544 गांव शामिल।
- जनसंख्या कवरेज: कुल 4.22 करोड़ लोगों के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा, कनेक्टिविटी, और आजीविका सुविधाएं प्रदान करना।
चुनौतियां:
- इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास: जनजातीय क्षेत्रों में सीमित कनेक्टिविटी और इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास योजनाओं को लागू करने में कठिनाई होती है।
- सामाजिक-सांस्कृतिक बाधाएं: जनजातीय संस्कृति को संरक्षित करते हुए विकास परियोजनाओं का कार्यान्वयन चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
निष्कर्ष: प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना का उद्देश्य जनजातीय गांवों को आदर्श समुदायों में बदलना है। इन्फ्रास्ट्रक्चर सीमाओं को दूर करना और सांस्कृतिक संवेदनशीलता का सम्मान करना सतत विकास प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है।
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