राजस्थान एवं भारत की सरकारी योजनाएं 2024-25 (भाग-4)
भारतमाला परियोजना
एक व्यापक परियोजना जिसका उद्देश्य भारत में सड़कों और राजमार्गों के बुनियादी ढांचे का विस्तार और सुधार करना है। दायरा और सड़क लंबाई:
- प्रथम चरण: 34,800 किलोमीटर सड़कों का निर्माण, जिसमें शामिल हैं:
- 24,800 किलोमीटर नई सड़क निर्माण।
- राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना (NHDP) के तहत पहले जारी किए गए 10,000 किलोमीटर।
- समयसीमा: प्रथम चरण की अनुमानित पूर्णता 2017-18 से 2021-22 के बीच।
- बजट: 5.35 लाख करोड़ रुपये।
घटक:
- आर्थिक गलियारे: 9,000 किलोमीटर सड़कें, आर्थिक गतिविधियों और दक्षता को बढ़ाने के लिए।
- एक्सप्रेसवे: 800 किलोमीटर उच्च-गति कनेक्टिविटी, सामान और यात्रियों के तेज़ आवागमन को समर्थन देने के लिए।
- सीमा सड़कें और बंदरगाह कनेक्टिविटी सड़कें: 2,000 किलोमीटर प्रत्येक, रक्षा गतिशीलता और व्यापार कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए।
- इंटर-कोरिडोर और राष्ट्रीय कोरिडोर:
- इंटर-कोरिडोर: 6,000 किलोमीटर, आर्थिक हब्स को जोड़ने के लिए।
- राष्ट्रीय कोरिडोर: 5,000 किलोमीटर, परिवहन बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए।
- NHDP सड़कें: NHDP फ्रेमवर्क के तहत 10,000 किलोमीटर सड़क लंबाई।
- द्वितीय चरण: अगले चरण के तहत अतिरिक्त 48,877 किलोमीटर सड़कों का प्रस्ताव।
चुनौतियां:
- भूमि अधिग्रहण: सड़क निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण एक जटिल और समय लेने वाली प्रक्रिया बनी हुई है।
- पर्यावरणीय मंजूरी: बुनियादी ढांचा विकास के लिए पर्यावरणीय मंजूरी प्राप्त करने में देरी हो सकती है।
- वित्तीय बाधाएं: बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए बजट आवंटन और वित्तीय संसाधनों का प्रबंधन महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं।
अवसर:
- परिवहन समय में कमी: उन्नत सड़क बुनियादी ढांचे से यात्रा और परिवहन समय में उल्लेखनीय कमी आएगी।
- लॉजिस्टिक्स को बढ़ावा: सड़क कनेक्टिविटी में सुधार लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को समर्थन देगा और माल की आवाजाही को अधिक कुशल बनाएगा।
- तेज व्यापार वृद्धि: परिवहन बुनियादी ढांचे में सुधार से घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तरों पर व्यापार कनेक्टिविटी में सुधार होगा।
सागरमाला परियोजना
समयसीमा: 2016 से 2025
उद्देश्य:
- बंदरगाह अवसंरचना का सुधार: मौजूदा बंदरगाहों की दक्षता और प्रभावशीलता में सुधार।
- आधुनिकीकरण: मौजूदा बंदरगाहों का आधुनिकीकरण और नए बंदरगाहों का निर्माण।
- कनेक्टिविटी संवर्धन: बंदरगाहों से और बंदरगाहों तक की कनेक्टिविटी में सुधार।
- बंदरगाह-संबद्ध औद्योगिकीकरण: तटीय संसाधनों के बेहतर उपयोग के लिए बंदरगाहों से जुड़े औद्योगिक विकास को बढ़ावा देना। मंत्रालय: बंदरगाह, शिपिंग और जलमार्ग मंत्रालय
प्रमुख घटक:
- 12 प्रमुख बंदरगाहों का आधुनिकीकरण: इसमें सागर द्वीप (पश्चिम बंगाल), कन्याकुमारी (तमिलनाडु), और वर्धवान (महाराष्ट्र) जैसे बंदरगाह शामिल हैं।
- तटीय आर्थिक क्षेत्र (CEZs): तटीय क्षेत्रों में विकास और औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए 14 CEZ स्थापित किए गए हैं। बजट और कार्यान्वयन एजेंसी:
बजट: परियोजना कार्यान्वयन के लिए 8.37 लाख करोड़ रुपये का आवंटन।
कार्यान्वयन: सागरमाला विकास कंपनी लिमिटेड (SDCL) के तहत 839 परियोजनाओं का कार्यान्वयन, जो 31 अगस्त, 2016 को स्थापित हुई।
सफलताएं:
- समुद्री लॉजिस्टिक्स में सुधार: सागरमाला ने भारत के समुद्री लॉजिस्टिक्स और बंदरगाह संचालन में महत्वपूर्ण सुधार किया है।
- बंदरगाह क्षमताएं: बढ़ी हुई बंदरगाह क्षमताओं से हैंडलिंग दक्षता में सुधार हुआ और समुद्री संसाधनों का बेहतर उपयोग हुआ।
चुनौतियां:
- भूमि अधिग्रहण: नए बंदरगाहों और विस्तार के लिए भूमि अधिग्रहण एक चुनौती बनी हुई है।
- परियोजना में देरी: विभिन्न प्रशासनिक और तार्किक मुद्दों के कारण बुनियादी ढांचा विकास में अक्सर देरी होती है।
- पर्यावरणीय चिंताएं: पर्यावरणीय मानदंडों का अनुपालन सुनिश्चित करना परियोजना कार्यान्वयन प्रक्रिया में जटिलता जोड़ता है।
सागरमाला परियोजना का उद्देश्य भारत के समुद्री बुनियादी ढांचे को मजबूत करना, व्यापार क्षमता को बढ़ावा देना और तटीय क्षेत्रों में आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना है, भले ही इसे विभिन्न कार्यान्वयन चुनौतियों का सामना करना पड़े।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY)
घोषणा तिथि: 13 जनवरी, 2016
शुरुआत तिथि: 18 फरवरी, 2016 (सीहोर, मध्य प्रदेश से)
संलग्न मंत्रालय: कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय
उद्देश्य:
- किसानों को व्यापक बीमा कवरेज प्रदान करना।
- प्राकृतिक आपदाओं, कीट हमलों या बीमारियों के कारण फसल क्षति की स्थिति में वित्तीय सहायता प्रदान करना।
बीमा कवरेज और प्रीमियम:
- फसल कवरेज: खाद्यान्न, तिलहन, और बागवानी फसलों को शामिल किया गया है।
- प्रीमियम दरें:
- रबी फसलें: बीमित राशि का 1.5%।
- खरीफ फसलें: बीमित राशि का 2%।
- बागवानी और व्यावसायिक फसलें: बीमित राशि का 5%।
- प्रीमियम साझा करना:
- केंद्र और राज्य प्रीमियम का भुगतान बराबर-बराबर करते हैं।
- पूर्वोत्तर राज्यों के लिए केंद्र 90% प्रीमियम का योगदान करता है।
चुनौतियां:
- दावा निपटान में देरी: किसानों को बीमा दावा प्राप्त करने में अक्सर देरी होती है, जिससे उनकी वित्तीय स्थिरता प्रभावित होती है।
- जागरूकता की कमी: योजना के बारे में सीमित जागरूकता के कारण किसानों की कम भागीदारी होती है।
संभावनाएं:
- प्रभावी आउटरीच: बेहतर आउटरीच पहल और जागरूकता कार्यक्रम किसानों की भागीदारी को बढ़ा सकते हैं।
- सुगम दावा प्रक्रिया: समय पर वित्तीय सहायता सुनिश्चित करने के लिए दावा निपटान प्रक्रियाओं को सरल बनाना आवश्यक है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का उद्देश्य किसानों के लिए एक सुरक्षा जाल प्रदान करना है, जिससे कृषि से जुड़े जोखिमों को कम किया जा सके। हालांकि, दावा देरी और जागरूकता के अंतर को दूर करना इसकी सफलता के लिए आवश्यक है।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN)
शुरुआत तिथि: 24 फरवरी, 2019 (गोरखपुर, उत्तर प्रदेश से)
उद्देश्य:
- छोटे और सीमांत किसानों को अल्पकालिक कृषि आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सीधी वित्तीय सहायता प्रदान करना।
- वित्तीय सहायता के माध्यम से स्थिरता प्रदान करके साहूकारों पर निर्भरता को रोकना।
- कृषि इनपुट और दैनिक आवश्यकताओं का समर्थन करके किसानों की आय को दोगुना करना।
पात्रता मानदंड:
- पात्र किसान:
- सभी भूमि-स्वामी किसान परिवार योजना के पात्र हैं।
- 6,000 रुपये प्रति वर्ष की वित्तीय सहायता, तीन किस्तों में 2,000 रुपये प्रत्येक।
- भौतिक सत्यापन: पारदर्शिता बनाए रखने के लिए 5% लाभार्थियों का हर साल सत्यापन होता है।
- 100% केंद्र प्रायोजित: सभी धनराशि केंद्र सरकार द्वारा प्रदान की जाती है।
- अयोग्य किसान:
- सार्वजनिक प्रतिनिधि, मंत्री, संवैधानिक पद धारण करने वाले, आयकरदाता, संस्थागत भूमि धारक, और 10,000 रुपये प्रति माह से अधिक पेंशन वाले किसान। राज्यवार भागीदारी:
- राजस्थान में लगभग 67 लाख किसानों को इस योजना के तहत नामांकित किया गया है।
चुनौतियां:
- पहचान संबंधी समस्याएं: पात्र लाभार्थियों की सही पहचान करने और अयोग्य लोगों को बाहर करने में कठिनाई।
- धन हस्तांतरण में देरी: लाभार्थियों को धन हस्तांतरित करने में देरी की घटनाएं।
निष्कर्ष:
- PM-KISAN का किसानों की आय पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है और छोटे एवं सीमांत किसानों में वित्तीय स्थिरता को सुधारने में मदद की है।
- लाभार्थियों की पहचान से संबंधित चुनौतियों को दूर करना और समय पर धन हस्तांतरण सुनिश्चित करना योजना की सफलता के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY)
शुरुआत वर्ष: 2016
उद्देश्य:
- कृषि प्रसंस्करण क्लस्टरों के विकास, मूल्य संवर्धन के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में प्रभावी आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन को बढ़ावा देने वाली एक व्यापक योजना।
- समर्थन पहल: विकास को बढ़ावा देना, किसानों की आय बढ़ाना और बेहतर प्रसंस्करण बुनियादी ढांचे के माध्यम से कृषि अपशिष्ट को कम करना।
प्रशासित मंत्रालय:
- खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय बजट आवंटन:
- प्रारंभिक बजट: 2016 से 2020 तक 6,000 करोड़ रुपये।
- विस्तारित बजट: 2026 तक 4,600 करोड़ रुपये आवंटित।
PMKSY के घटक:
- मेगा फूड पार्क:
- प्रसंस्करण इकाइयों, सामान्य सुविधाओं और बुनियादी ढांचे का निर्माण करना, रोजगार को बढ़ावा देना और किसानों की आय बढ़ाना।
- एकीकृत शीत श्रृंखला और मूल्य संवर्धन बुनियादी ढांचा:
- यह सुनिश्चित करना कि नाशवान कृषि उत्पाद बिना मूल्य हानि के परिवहन किए जाएं, जिससे अपशिष्ट को कम किया जा सके।
- पिछला और आगे का लिंक बनाना:
- किसानों, प्रसंस्करणकर्ताओं और बाजारों के बीच लिंक को मजबूत करना ताकि एकीकृत आपूर्ति श्रृंखला बनाई जा सके।
- कृषि प्रसंस्करण क्लस्टर:
- प्रसंस्करण क्लस्टर स्थापित करना ताकि खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की वृद्धि को बढ़ावा दिया जा सके और किसानों को सशक्त बनाया जा सके।
- खाद्य प्रसंस्करण क्षमताएं:
- मूल्य-वर्धित उत्पादों की अधिक मात्रा का उत्पादन करने के लिए प्रसंस्करण क्षमताओं को विकसित करना।
- खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता आश्वासन बुनियादी ढांचा:
- आधुनिक प्रयोगशालाओं और गुणवत्ता परीक्षण सुविधाओं के माध्यम से खाद्य सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित करना।
- मानव संसाधन और संस्थान:
- खाद्य प्रसंस्करण में पेशेवरों के लिए कौशल विकास और प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करना ताकि कुशल श्रम की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके।
चुनौतियां:
- छोटे किसानों को एकीकृत करना: संगठित प्रसंस्करण उद्योग में छोटे किसानों को एकीकृत करने में कठिनाई।
- आधुनिकीकरण की आवश्यकता: खाद्य प्रसंस्करण में प्रौद्योगिकी के आधुनिकीकरण के लिए पर्याप्त निवेश की कमी।
- किसानों में जागरूकता: योजना के बारे में किसानों में सीमित जागरूकता, जिससे अपनाने की दर प्रभावित होती है।
निष्कर्ष:
- PMKSY ने भारत में खाद्य प्रसंस्करण स्तरों को बढ़ाने में सफलता प्राप्त की है, लेकिन छोटे किसानों को एकीकृत करने और क्षेत्र को आधुनिक बनाने के लिए और भी अधिक करना आवश्यक है।
- इन चुनौतियों का समाधान करना फसल के बाद होने वाले नुकसान को कम करने और किसानों की आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना का उद्देश्य मजबूत बुनियादी ढांचा बनाकर और किसानों का समर्थन करके कृषि प्रसंस्करण उद्योग में वृद्धि को बढ़ावा देना है, हालांकि दीर्घकालिक सफलता के लिए निरंतर निवेश और बढ़ी हुई जागरूकता आवश्यक है।
स्टार्ट अप इंडिया
शुरुआत तिथि: 16 जनवरी, 2016 (नई दिल्ली से स्टार्टअप दिवस पर)
प्रमुख उद्देश्य:
- पूरे भारत में उद्यमशीलता और नवाचार को बढ़ावा देना।
- नवोदित उद्यमियों को समर्थन, प्रोत्साहन और लाभ प्रदान करके स्टार्टअप्स के लिए एक सजीव पारिस्थितिकी तंत्र बनाना।
प्रशासित विभाग:
- वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT)।
प्रमुख विशेषताएं और लाभ:
- स्व-प्रमाणीकरण सुविधा:
- स्टार्टअप कई श्रम और पर्यावरण कानूनों का अनुपालन स्वयं-प्रमाणित कर सकते हैं, जिससे नियामक बोझ कम होता है।
- कर लाभ:
- तीन लगातार वर्षों के लिए आयकर छूट।
- शुरुआती वर्षों में पूंजीगत लाभ कर से छूट।
- पेटेंट शुल्क में कमी:
- पेटेंट फाइलिंग शुल्क में 80% तक की कमी, जिससे नवाचार अधिक सुलभ हो।
- व्यवसाय बंद करने की व्यवस्था:
- यदि आवश्यक हो तो स्टार्टअप 90 दिनों के भीतर संचालन समाप्त कर सकते हैं, जिससे बाहर निकलने की बाधाएं कम होती हैं।
- स्टार्टअप इंडिया सीड फंड योजना:
- अवधारणा प्रमाण, प्रोटोटाइप विकास, और उत्पाद परीक्षण के लिए धनराशि प्रदान करता है।
- 2021 से 2025 तक 945 करोड़ रुपये का बजट, तीन वर्षों में 5 करोड़ रुपये तक की अनुदान राशि।
लाभ के लिए पात्रता:
- पुरानी कंपनियां जो स्टार्टअप लाभ प्राप्त करना चाहती हैं:
- भारत में मुख्यालय और दस साल से पुरानी नहीं होनी चाहिए।
- वार्षिक टर्नओवर 100 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए।
उपलब्धियां:
- मार्च 2024 तक, इस पहल के तहत 1.25 लाख स्टार्टअप पंजीकृत हो चुके हैं, जो भारत के सजीव स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र में योगदान कर रहे हैं।
चुनौतियां:
- धन तक पहुंच: विशेष रूप से प्रारंभिक चरण के स्टार्टअप्स के लिए धन तक आसान पहुंच प्रदान करने में चुनौतियां बनी हुई हैं।
- बुनियादी ढांचे की कमी: बुनियादी ढांचे की खाई को पाटना और स्टार्टअप वृद्धि के लिए संसाधनों में सुधार करना सतत सफलता के लिए आवश्यक है।
स्टार्ट अप इंडिया पहल ने भारत में नवाचार और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने में सफलतापूर्वक योगदान दिया है। धन और बुनियादी ढांचे से संबंधित चुनौतियों का समाधान करना इसके प्रभाव को और बढ़ा सकता है।
स्मार्ट सिटी मिशन
शुरुआत तिथि: 25 जून, 2015 से 31 मार्च, 2025 तक
प्रशासित मंत्रालय: आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय
उद्देश्य: पूरे भारत में 100 स्मार्ट शहरों का विकास करना।
शामिल शहर:
- पहला शहर: भुवनेश्वर
- 100वां शहर: शिलांग
- राजस्थान: जयपुर, उदयपुर, कोटा, अजमेर
- अधिकतम शहर: उत्तर प्रदेश से 13 शहर
स्मार्ट शहरों के मानक:
- किफायती आवास
- आसान परिवहन
- जल और बिजली सुविधाएं
- वाईफाई कनेक्टिविटी
- शिक्षा सुविधाएं
- निवेश के अवसर
एकीकृत कमांड और नियंत्रण केंद्र (ICCCs):
- मिशन के तहत सभी शहरों में बेहतर शासन और सेवा वितरण के लिए ICCCs स्थापित किए जा रहे हैं।
स्मार्ट सिटी मिशन का उद्देश्य प्रौद्योगिकी, बुनियादी ढांचे और स्मार्ट प्रबंधन प्रणालियों के माध्यम से आधुनिक, स्थायी शहरी क्षेत्रों का निर्माण करना है।
अमृत मिशन
शुरुआत तिथि: 25 जून, 2015
पूर्ण रूप: अटल मिशन फॉर रीजुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन
प्रशासित मंत्रालय: आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय
लक्ष्य:
- देश भर में 500 शहरों का विकास करना जिनकी न्यूनतम जनसंख्या 1 लाख (या नदी किनारे शहरों के लिए 75 हजार) हो।
- राजस्थान के 29 शहर शामिल।
उद्देश्य:
- शहरी जल पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार के लिए जल निकायों का पुनरुद्धार।
- हर घर में जल आपूर्ति सुनिश्चित करना।
- 100% सीवरेज कवरेज प्राप्त करना।
- स्वस्थ शहरी वातावरण के लिए हरे भरे स्थान और पार्क विकसित करना।
अमृत 2.0:
- अवधि: 1 अक्टूबर, 2021 से 2026 तक।
- 4,700 शहरी निकायों में 100% जल आपूर्ति सुनिश्चित करना।
- 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहरों में PPP मोड अनिवार्य है (10% तक)।
अमृत का उद्देश्य शहरी अवसंरचना को बदलना, स्थायी जल प्रबंधन, सीवरेज प्रणालियों, और हरे शहरी स्थानों को सुनिश्चित करना है ताकि जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सके।
हृदय (HRIDAY) योजना
पूर्ण रूप: हेरिटेज सिटी डेवलपमेंट एंड ऑग्मेंटेशन योजना
अवधि: 2015 में शुरू हुई, 4 वर्षों के लिए, 2019 में पूरी हुई।
- योजना प्रकार: 100% केंद्र प्रायोजित योजना
- प्रशासित मंत्रालय: शहरी विकास मंत्रालय
- उद्देश्य: सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करते हुए विरासत शहरों का विकास और आधुनिकीकरण करना।
- बजट: 500 करोड़ रुपये
कवर किए गए शहर:
- 12 शहर:
- अजमेर, अमरावती, अमृतसर
- बादामी, द्वारका, गया
- कांचीपुरम, मथुरा, पुरी
- वाराणसी, वेलकल्लि, वारंगल
हृदय योजना का उद्देश्य विरासत शहरों के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को संरक्षित करना और उनके बुनियादी ढांचे को उन्नत करना था।
स्वच्छ भारत मिशन (शहरी)
शुरुआत तिथि: 2 अक्टूबर, 2014
प्रशासित मंत्रालय: आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय
उद्देश्य:
- शहरी क्षेत्रों में खुले में शौच का उन्मूलन।
- मैन्युअल सफाई को समाप्त करना और श्रमिकों की गरिमा को बढ़ावा देना।
- ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन सुनिश्चित करना ताकि स्वच्छ शहरी वातावरण बने।
उपलब्धियां:
- 4,715 शहरी निकायों को ODF (खुले में शौच मुक्त) घोषित किया गया।
द्वितीय चरण:
- समयसीमा: 1 अक्टूबर, 2021 से आगे।
- प्रभावी कचरा प्रबंधन के माध्यम से कचरा मुक्त शहरों को प्राप्त करना।
स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) का उद्देश्य खुले में शौच को समाप्त करके, कचरा प्रबंधन में सुधार करके और सार्वजनिक स्वच्छता सुविधाओं को बढ़ाकर शहरी क्षेत्रों को स्वच्छ और स्वास्थ्यमंद बनाना है।
स्टैंड अप इंडिया
शुरुआत तिथि: 5 अप्रैल, 2016, 2025 तक बढ़ाई गई
उद्देश्य:
- महिलाओं, अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देना।
- गैर-कृषि क्षेत्रों में ग्रीन फील्ड उद्यमों – नए व्यावसायिक इकाइयों की स्थापना को प्रोत्साहित करना।
पात्रता और प्रावधान:
- आयु आवश्यकता:
- आवेदक की उम्र कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए।
- ऋण आवंटन:
- प्रत्येक वाणिज्यिक बैंक को दो ऋण प्रदान करने की आवश्यकता होती है – एक SC/ST व्यक्ति के लिए और एक महिला उद्यमी के लिए।
- ऋण राशि:
- ऋण राशि 10 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये तक होती है, जिसे सात वर्षों में चुकाना होता है।
- यदि किसी संस्थान में SC/ST व्यक्तियों या महिलाओं का कम से कम 51% स्वामित्व है, तो वे भी ऋण प्राप्त कर सकते हैं।
- योजना में संशोधन (2019):
- कृषि गतिविधियां शामिल: ग्रामीण क्षेत्र में कृषि संबंधित गतिविधियों को शामिल करने के लिए योजना का विस्तार किया गया।
- ऋण मार्जिन में कमी: ऋण मार्जिन की आवश्यकता को 25% से घटाकर 15% कर दिया गया। चुनौतियां और उपलब्धियां:
- उपलब्धियां:
- महिलाओं और हाशिये पर खड़े समूहों को सशक्त बनाना: इस योजना ने महिलाओं और हाशिये पर खड़े समुदायों को अपना व्यवसाय शुरू करने में सक्षम बनाकर उन्हें काफी सशक्त किया है।
- चुनौतियां:
- कम जागरूकता: संभावित लाभार्थियों के बीच योजना के लाभों के बारे में सीमित जागरूकता।
- एनपीए का खतरा: गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPAs) का खतरा योजना की दीर्घकालिक सफलता के लिए एक चुनौती बनता है।
- प्रभावी समर्थन की आवश्यकता: नई उद्यमियों के लिए समर्थन प्रणाली और मार्गदर्शन बनाना सफलता के लिए महत्वपूर्ण है।
स्टैंड अप इंडिया योजना का उद्देश्य महिलाओं और SC/ST समुदायों को व्यवसाय स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करके समावेशी उद्यमशीलता पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देना है। जागरूकता से संबंधित चुनौतियों को दूर करना और मजबूत समर्थन प्रणाली बनाना योजना की निरंतर सफलता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण होगा।
प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY)
शुरुआत तिथि: 28 अगस्त, 2014
संलग्न मंत्रालय: वित्त मंत्रालय (वित्तीय सेवा विभाग)
उद्देश्य:
- प्रत्येक परिवार में कम से कम एक बैंक खाता सुनिश्चित करके वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना।
- हाशिये पर खड़े और पिछड़े समुदायों को वित्तीय सेवाएं प्रदान करना।
- समाज के वंचित वर्गों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली से जोड़कर आर्थिक स्थिरता को प्रोत्साहित करना।
- पूरे देश में वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देना।
प्रमुख लाभ:
- जमा पर ब्याज: खाताधारकों को उनके बचत पर ब्याज मिलता है, जिससे औपचारिक बैंकिंग का उपयोग प्रोत्साहित होता है।
- नि:शुल्क बीमा कवरेज:
- 2 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा।
- 30,000 रुपये का सामान्य जीवन बीमा।
- ओवरड्राफ्ट सुविधा: पात्र खाताधारक 10,000 रुपये तक की ओवरड्राफ्ट सुविधा का उपयोग कर सकते हैं।
- रुपे डेबिट कार्ड: खाताधारकों को नकद रहित लेनदेन के लिए रुपे डेबिट कार्ड मिलता है।
- खाता सांख्यिकी:
- शुरुआत से अब तक 53 करोड़ खाते खोले गए।
- 29 करोड़ खाते महिलाओं के हैं, जो लैंगिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देते हैं।
चुनौतियां:
- खाते निष्क्रिय रहना: कई खाते निष्क्रिय रह गए हैं।
- कम वित्तीय साक्षरता: ग्रामीण और हाशिये पर खड़े क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं की सीमित समझ के कारण कम उपयोग होता है।
उपलब्धियां:
- पूरे भारत में वित्तीय समावेशन को सफलतापूर्वक बढ़ाया।
- हाशिये पर खड़े समूहों को आर्थिक सशक्तिकरण प्रदान किया।
- खाते की सक्रियता को प्रोत्साहित करने और सक्रिय बचत व्यवहार को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय शिक्षा पर ध्यान देने की आवश्यकता है।