भारत में BioE3 नीति और जैव प्रौद्योगिकी
हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा प्रस्तावित BioE3 नीति को मंजूरी दी है, जिसका उद्देश्य उच्च प्रदर्शन वाले जैव विनिर्माण को बढ़ावा देना है। इस नीति के अंतर्गत विभिन्न जैव-आधारित उत्पादों का उत्पादन किया जाएगा, जो भारत के व्यापक राष्ट्रीय लक्ष्यों, जैसे ‘नेट जीरो’ कार्बन अर्थव्यवस्था और सर्कुलर बायोइकोनॉमी को समर्थन देगा।
BioE3 नीति का उद्देश्य
BioE3 नीति अनुसंधान एवं विकास (R&D) और उद्यमिता में नवाचार पर जोर देती है। इसका मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित है:
- जैव विनिर्माण केंद्रों की स्थापना: विशेष रूप से टियर-II और टियर-III शहरों में रोजगार सृजन।
- स्थानीय बायोमास का उपयोग: क्षेत्रीय आर्थिक विकास को बढ़ावा देना।
- नैतिक जैव सुरक्षा: वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देने के लिए।
BioE3 नीति की मुख्य विशेषताएँ
- जैव-आधारित रसायन और एंजाइम: पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए विकास।
- कार्यात्मक खाद्य पदार्थ और स्मार्ट प्रोटीन: पोषण और खाद्य सुरक्षा में सुधार।
- जलवायु लचीला कृषि: जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूल कृषि पद्धतियों का विकास।
- कार्बन कैप्चर और उपयोग: उद्योगों में कार्बन कैप्चर प्रौद्योगिकियों का उपयोग।
विज्ञान धारा योजना
विज्ञान धारा योजना, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की तीन योजनाओं का समेकन है। इसका उद्देश्य:
- अनुसंधान एवं विकास में विस्तार: पूर्णकालिक शोधकर्ताओं की संख्या बढ़ाना।
- लिंग समानता: विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाना।
जैव प्रौद्योगिकी का परिचय
जैव प्रौद्योगिकी, जीवविज्ञान और प्रौद्योगिकी को मिलाकर ऐसी प्रक्रियाओं और उत्पादों का विकास करता है, जो मानव जीवन और पर्यावरण की सुरक्षा में सहायक होते हैं। इसके लाभों में शामिल हैं:
- स्वास्थ्य सेवा में प्रगति: उन्नत दवाओं और टीकों का विकास।
- कृषि सुधार: आनुवंशिक संशोधन से अधिक प्रतिरोधी फसलों का उत्पादन।
- पर्यावरणीय स्थिरता: प्रदूषकों को साफ करने के लिए सूक्ष्मजीवों का उपयोग।
भारत में जैव प्रौद्योगिकी की वर्तमान स्थिति
भारत बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण गंतव्य बन गया है। कोविड-19 महामारी के दौरान बायोटेक्नोलॉजी में तेज विकास हुआ। भारत में बायोटेक स्टार्टअप की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जो वर्ष 2025 तक 10,000 तक पहुँचने की संभावना है।
सरकारी पहलें
भारत की बायोइकोनॉमी में सुधार लाने के लिए कई सरकारी योजनाएँ हैं, जैसे:
- राष्ट्रीय जैव प्रौद्योगिकी विकास रणनीति 2020-25
- राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन
- बायोटेक-किसान योजना
चुनौतियाँ
भारत में जैव प्रौद्योगिकी को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे:
- रणनीतिक रोडमैप का अभाव: प्रतिस्पर्धी क्षेत्रों की पहचान करने में कठिनाई।
- विनियामक बोझ: जटिल अनुमोदन प्रक्रियाएँ।
- मानव संसाधन की कमी: विशिष्ट कौशल की आवश्यकता।
आगे की राह
भारत में जैव प्रौद्योगिकी के विकास के लिए निम्नलिखित कदम उठाने की आवश्यकता है:
- कुशल कार्यबल का विकास: औद्योगिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों का विस्तार।
- नवाचार को बढ़ावा देना: सार्वजनिक-निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करना।
- वैश्विक साझेदारियों में भागीदारी: अंतरराष्ट्रीय गठबंधनों के माध्यम से वैश्विक बाजारों में उपस्थिति बढ़ाना।
इस प्रकार, BioE3 नीति और जैव प्रौद्योगिकी का समग्र विकास भारत की आर्थिक और पर्यावरणीय स्थिरता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
प्रश्न:
- BioE3 नीति के महत्व पर चर्चा करें। यह भारत में सतत विकास को कैसे बढ़ावा देती है और वैश्विक पर्यावरण लक्ष्यों के साथ कैसे मेल खाती है?
- भारत में खाद्य सुरक्षा को बढ़ाने में जैव प्रौद्योगिकी की भूमिका का विश्लेषण करें। कृषि में जैव प्रौद्योगिकी नवाचारों को अपनाने में कौन-कौन सी चुनौतियाँ हैं?
Tag:BioE3 नीति, RAS 2024, RAS MAINS, UPSC 2025